प्रार्थना-१
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
हो तुम्ही एक आश्रय दाता, तुम रक्षक बन्धु पिता माता,
तुम बिन है राह कौन पाता, तुमसे ही जीव अभय होवै ।।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
तुम परम् तत्व के ज्ञाता हो, दुर्गति में सुगति विधाता हो,
दुखः में सुख के निर्माता हो, कुसमय तुमसे सुसमय होवै।।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
दुखियों के सुख कारक तुम हो, अधमों के उद्धारक तुम हो,
भवसागर से तारक तुम हो,तुमसे सौभाग्य उदय होवै।।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
पशु में मानवता लाते तुम,मानव को देव बनाते तुम,
वह योग विधान सिखाते तुम,जिससे पापों का क्षय होवै।।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
कल्याण शरण में आते ही, दुखः हारी दर्शन पाते ही,
पथ दर्शक तुम्हे बनाते ही, आनन्द लाभ अतिशय होवै।।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
धृति सुकृति सुमति मिलती तुमसे, कीरति शुभ गति मिलती तुमसे,
तप त्याग विरति मिलती तुमसे, अति सुन्दर सदैव हृदय होवै।।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
मय पन सब तुम में खो जावै, अन्तर का मल सब धो जावै,
जीवन अमृत मय हो जावै, चेतना तुम्ही में लय होवै।।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
अब ऐसा दे दो ज्ञान प्रभू, कुछ रह न जाये अभिमान प्रभू,
नित रहे तुम्हारा ध्यान प्रभू, यह पथिक प्रेम प्रभुमय होवै।।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवै, भगवान तुम्हारी जय होवै।
प्रार्थना-२
ईश हमें दो यह वरदान, पढ़े लिखें हम बनें महान्।
सबसे हिल मिल रहना सीखें, सब दुःख दर्दो का सहना सीखें।
कष्ट पड़े चाहे कितना ही, चाहे टूट गिरे चट्टान।
अपनी कुछ परवाह नहीं हो, अपनी केवल चाह यही हो।
करें निछावर मात्र भूमि पर, तन मन धन प्राण।
सूरज बन संसार जगावें, अन्धकार को दूर भगावें।
मिट्टी से सोना उपजावे, करे देश के कार्य महान्।
प्रार्थना-३
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अखियाँ प्यासी रे,
मन मन्दिर की ज्योति जगा दो घट- घट बासी रे।।
मन्दिर-मन्दिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी,
युग बीते न आये मिलन की पूर्णमासी रे।।
द्वार दया का जब तू खोले पंचम स्वर मे गूंगा बोले,
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पहुँचे काशी रे।।
पानी पीकर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समझाऊँ,
अब तो आँख मिचौली छोड़़ो मन के बासी रे।।
पीकर प्रेम का प्याला हो जाऊँ मतवाला,
प्रेम की बाती प्रेम का दीपक प्रेम की होवै माला।।
मन मन्दिर में जगमग करके हो जावे उजियाला,
और घर के अन्दर बहता होवै प्रेम का नाला।।
जब-जब प्यास लगे उसमें से भर कर पी लूँ प्याला,
धोकर प्रेम वारि से अब तू मन मेरा मटियाला।।
तेरे प्रेम के रंग में रंग कर हो जाऊँ रंगियाला,
प्रेम अश्रु से सिंचित प्रेम का बाग लगे हरियाला,
प्रेम प्रसून लगे हों उनमें उनकी गूथूँ माला ।।
प्रार्थना-४
हे मेरे गुरुदेव करुणा सिन्धु करुणा कीजिए,
हूँ अधम आधीन अशरण अब शरण में लीजिए।
खा रहा गोते हूँ मैं भव-सिन्धु के मझधार में,
आसरा है दूसरा कोई न अब संसार में।।
मुझमें है न जप-तप न साधन और नहीं कुछ ज्ञान है,
निर्लज्जता है एक बाकी और बस अभिमान है।
पाप बोझों से लदी नैया भँवर में आ पड़ी,
नाथ दौड़ो अब बचाओ, जल्द डूबी जा रही।।
आप भी यदि छोड़ देंगे फिर कहाँ जाऊँगा मैं,
जन्म दुःख से नाव कैसे पार कर पाऊँगा मैं।
सब जगह मंजुल भटक कर ली शरण प्रभु आपकी,
पार करना या न करना दोनों मरजी आपकी।।
प्रार्थना-५
भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना,
अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना।।
दल-बल के साथ माया घेरे जो मुझे आकर,
तो देखते न रहना झट आकर बचा लेना।।
सम्भव है झंझटों मे मैं तुमको भूल जाऊँ,
पै नाथ दया करके मुझको न भुला देना।।
प्रार्थना-६
रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम।।
जय रघुनन्दन जय सिया राम, जानकी बल्लभ सीता राम।।
ईश्वर -अल्लाह एकहु नाम, सबको सम्मति दे भगवान।।
प्रार्थना-७
मानव सोचों जग में सुख का, विस्तार रहेगा कितने दिन।
यह प्यार रहेगा कितने दिन, सत्कार रहेगा कितने दिन।।
चाहे पितु हो या माता हो, भगनी सुत या भ्राता हो।
जिसको अपना तुम कहते हो, अधिकार रहेगा कितने दिन।।
कोई आता है कोई जाता है ,सबसे थोड़े दिन का नाता है।
जिसका भी आश्रय लेते हो आधार रहेगा कितने दिन।।
जग में जो सच्चे ज्ञानी हैं आध्यात्म तव्व के ध्यानी हैं।
उनसे पूछों मानव मन का संसार रहेगा कितने दिन।।
तुम प्रेम करो अविनाशी से मिल जाओ सब उर वासी से।
पथिक यहाँ मैं मेरा का व्यापार रहेगा कितने दिन।।
प्रार्थना-८
देव तुम्हारे कई उपासक, कई ढंग से आते हैं।
सेवा मे बहुमूल्य वस्तुए लाकर तुम्हे चढ़ाते है।।
साज-धाज से धूम-धाम से मन्दिर में पद लाते हैं।
मुक्ता मणि बहुमूल्य भेंट वे भाँति-भाँति के लाते हैं।।
मैं गरीब अति निष्किंचन साथ नहीं कुछ भी लाया।
फिर भी साहस कर मन्दिर में पूजा करनें को आया।।
नहीं दान है नहीं दक्षिणा खाली हाँथ चला आया।
पूजा की विधि नहीं जानता फिर भी नाथ चला आया।।
दान दक्षिणा और निछावर इसी भिखारी को समझो।
पूजा और पुजापा प्रभुवर इसी पुजारी को समझो।।
मै उन्मत्त प्रेम का भूखा हृदय दिखानें आया हूँ।
और कुछ नहीं बस यही पास है इसे चढ़ाने आया हूँ।।
चरणों में अर्पित है इसको चाहो तो स्वीकार करो।
ये तो वस्तु तुम्हारी ही है, ठुकरा दो या प्यार करो।।
प्रार्थना-९
पितु मातु सहायक स्वामि सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।
जिनके कछु और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो।।
प्रतिपाल करो सगरे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो।
भुलि हैं हमही तुमको तुमतो, हमरी सुध नाहि बिसारे हो।।
महाराज महा महिमा तुमरी, समझे बिरले बुधवारे हो।
शुभ शान्तनि के तन प्रेम निधे, मन मंदिर के उजियारे हो।।
यहि जीवन के तुम जीवन हो, यहि प्राणन के तुम प्यारे हो।
तुम सो प्रभु पाये शरण आये, किनके अब और सहारे हो।।
प्रार्थना-१०
प्रभू हम सबों की विमल बुद्धि होवे,
सदाचार ही की सदा चाह होवे।।
न दुखः हो हमें हम न दुखः दे किसी को,
सभी प्राणियों से हमें प्रेम होवे।
प्रभू हम सबों की विमल बुद्धि होवे,
सदाचार ही की सदा चाह होवे।।
कुपथ के पथिक को सुपथ हम दिखावें,
कभी न किसी से हमें द्वेश होवे।
प्रभु हम सबों की विमल बुद्धि होवे,
सदाचार ही की सदाचाह होवे।।
तुम्ही मंदिरों मे तुम्ही मस्जिदों में,
तुम्हारा ही गुणगान गिरजों में होवे।
प्रभू हम सबों की विमल बुद्धि होवे,
सदाचार ही की सदा चाह होवे।।
प्रार्थना-११
कब तक रहोगे रूठे बिनती सुनो हमारी,
कुछ तो हमें बता दो क्या है खता हमारी।
सब लोक लाज छोड़ा एक तुमसे नाता जोड़ा,
मुँह मोड़ आप बैठे बिगड़ी दशा हमारी।
ये आँसुओं की माला प्रभु भेट है तुम्हारी,
भिछुक हूँ मै तुम्हारा तुम दाता हो दयालु मेरे,
खाली न भेजो मुझको होगी हँसी तुम्हारी।
प्रार्थना-१२
तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो, तुम्ही हो बन्धु सखा तुम्ही हो।
तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे, कोई न अपना सिवा तुम्हारे।।
तुम्ही हो नय्या तुम्ही खिवय्या, तुम्ही हो बन्धु सखा तुम्ही हो।
जो खिल सके न वो फूल हम हैं, तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं।।
दया की दृष्टि सदा ही रखना, तुम्ही हो बन्धु सखा तुम्ही हो।
प्रार्थना-१३
बहुत दिन से तारीफ सुनकर तुम्हारी, शरण आ गया श्याम सुन्दर तुम्हारी।
जो अब टाल दोगे मुझे अपनें दर से, तो होगी हँसी नाथ दर-दर तुम्हारी।।
सुना है कि उनको न करुणा सताती, जो रहते है करुणा नजर पे तुम्हारी।
यही प्रार्थना है यही याचना है, जुदा हूँ न पल भर नजर से तुम्हारी।।
ये दृग बिन्दु तुमको खबर दे रहे हैं, कि है याद दिल में बराबर तुम्हारी।
प्रार्थना-१४
दाता है तू मालिक है तू, तू ही जगत का पालनहारा।
प्रभु जी सुन ले मेरी पुकार, तू है परवर दिगार।
दया कर दे-दया कर दे, मेरे मालिक दयालू नाम तेरो है।
प्रार्थना-१५
हे प्रभू आनन्द दाता, ज्ञान हमको दीजिए।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को, दूर हमसे कीजिए।
लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बनें।
ब्रह्मचारी धर्म रक्षक, वीर व्रतधारी बनें।
प्रार्थना-१६
शान्ति देने वाले और सुख देने वाले, परमात्मा को हम शीष झुकाते हैं।
भला करने वाले और सुख स्वरूप, प्रभु को हम नमस्कार करते हैं।
आनन्द स्वरूप कल्याण दाता, प्रभु को हम प्रणाम करते हैं।
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